अर्थिंग
हमें बिजली से करंट ना लगे , यह काम अर्थिंग करती है।
लीक होने वाला करंट हमारी बॉडी के अंदर से ना जा के सीधा अर्थिंग की तारों द्वारा जमीन में चले जाता है। हमे करंट नहीं लगता।
दिल्ली में 40 % घरों की अर्थिंग लगाई ही नहीं गई। जिन की लगी है, उस की भी कोई गारंटी नहीं की चल रही है या नहीं।
आर सी सी बी फेज और न्यूट्रल की तारों में बह रहा करंट कम्पेयर करता रहता है। यह ब्राबर होना चाहिए। पर जैसे ही एप्लायंस में करंट लीक हो क्र बॉडी में आने लगता है तो दोनों करंट में फर्क आने लगता है। आर सी सी बी इसे भांप लेती है और ट्रिप कर जाती है , जिस से मेंन स्विच ट्रिप क्र जाता है और एप्लायंस ऑफ हो जाता है।
अर्थिंग की तारों का साइज कम नहीं होना चाहिए।
डबल अर्थिंग होनी चाहिए।
अर्थिंग जमीन के भीतर
हमें बिजली से करंट ना लगे , यह काम अर्थिंग करती है।
लीक होने वाला करंट हमारी बॉडी के अंदर से ना जा के सीधा अर्थिंग की तारों द्वारा जमीन में चले जाता है। हमे करंट नहीं लगता।
दिल्ली में 40 % घरों की अर्थिंग लगाई ही नहीं गई। जिन की लगी है, उस की भी कोई गारंटी नहीं की चल रही है या नहीं।
जब की हर घर और फैक्ट्री में डबल अर्थिंग लगा होना कम्पल्सरी है।
डबल इस लिए की अगर एक फ़ैल हो जाए तो दूसरी हमे बचा ले।
और अब तो दिल्ली में हर घर में आर सी सी बी का लगाना भी जरूरी है।
पर आर सी सी बी लगवा तो लेते हैं , पर वो बारी बारी ट्रिप करती है, तो उस को बाईपास क्र देते हैं। यह गलत काम आप का इलेक्ट्रीशियन ही करता है.
और अब तो दिल्ली में हर घर में आर सी सी बी का लगाना भी जरूरी है।
पर आर सी सी बी लगवा तो लेते हैं , पर वो बारी बारी ट्रिप करती है, तो उस को बाईपास क्र देते हैं। यह गलत काम आप का इलेक्ट्रीशियन ही करता है.
आर सी सी बी फेज और न्यूट्रल की तारों में बह रहा करंट कम्पेयर करता रहता है। यह ब्राबर होना चाहिए। पर जैसे ही एप्लायंस में करंट लीक हो क्र बॉडी में आने लगता है तो दोनों करंट में फर्क आने लगता है। आर सी सी बी इसे भांप लेती है और ट्रिप कर जाती है , जिस से मेंन स्विच ट्रिप क्र जाता है और एप्लायंस ऑफ हो जाता है।
अर्थिंग की तारों का साइज कम नहीं होना चाहिए।
डबल अर्थिंग होनी चाहिए।
अर्थिंग जमीन के भीतर
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